कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना ही काफी नहीं, जानें अध्ययन में और क्या बताया?

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनना ही काफी नहीं, जानें अध्ययन में और क्या बताया?

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते चले जा रहे हैं। इसी को देखते हुए एक्सपर्ट लोगों से मास्क पहनने और लोगों से दूरी बना कर रखने की अपील कर रहे हैं। वहीं कई देशों में टीकाकरण अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन वैज्ञानिक यह भी कह रहे हैं कि सिर्फ वैक्सीन लेना काफी नहीं होगा बल्कि इसके साथ-साथ मास्क भी पहनना जरूरी है। अब नए अध्ययन में यह दावा किया जा रहा है कि संक्रमण से बचने के लिए केवल मास्क पहनना ही पर्याप्त नहीं हो सकता है बल्कि इसके लिए जरूरी है कि सुरक्षित शारीरिक दूरी का भी पालन किया जाए। इस शोध को फिजिक्स ऑफ फ्लूइड नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

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दरअसल, शोधकर्ताओं ने कोरोना से बचाव के लिए पांच तरह के पदार्थों से बने मास्क और खांसने-छींकने के दौरान वायरस युक्त बूंदों के फैलने पर मास्क के असर पर अध्ययन किया। उनके मुताबिक, अलग-अलग प्रकार के मास्क अलग-अलग तरीके से वायरस युक्त बूंदों को फैलने से रोकते हैं। 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उससे निकली वायरस युक्त कुछ बूंदे वस्तुओं को पार कर दूसरे व्यक्ति को भी बीमार कर सकती हैं। ऐसे में वायरस से सुरक्षित रहने के लिए छह फीट की दूरी जरूरी रखनी चाहिए। 

शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी संक्रमित व्यक्ति के महज एक बार छींकने से 20 करोड़ तक वायरस के कण उसके मुंह से बाहर निकलते हैं। इन कणों का अधिकतर हिस्सा मास्क से रोका तो जा सकता है लेकिन इसके बावजूद कुछ कण ऐसे होते हैं जो मास्क को भी पार कर सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो पास खड़ा दूसरा व्यक्ति भी कोरोना से संक्रमित हो सकता है। 

शोधकर्ताओं ने वायरस युक्त कणों को पांच तरह की वस्तुओं से बने मास्क से रोकने की कोशिश की, जिसमें सर्जिकल मास्क, सामान्य कपड़े से बने मास्क, दो परत वाले कपड़े के मास्क, दो परत वाले गीले नियमित कपड़े और एन-95 मास्क शामिल हैं। 

शोधकर्ताओं ने बताया कि सभी प्रकार के मास्क बड़ी मात्रा में वायरस युक्त बूंदों को रोकने में कामयाब हुए, लेकिन आखिरकार 3.6 फीसदी बूंदें सामान्य कपड़े से बने मास्क के पार चली ही गईं, जबकि एन-95 मास्क इसमें 100 फीसदी कामयाब हुआ यानी उसने बूंदों को बाहर ही रोक दिया। 

कैसे किया गया शोध

शोधकर्ताओं ने पहले एयर जेनरेटर का इस्तेमाल कर एक ऐसी मशीन बनाई, जो इंसान की छींक और खांसी की नकल कर सकती थी। इसके बाद जेनरेटर के इस्तेमाल से एक कैमरा लगे बंद ट्यूब से लेजर शीट द्वारा सूक्ष्म कणों को हवा में छोड़ा गया, जैसे कण खांसी और छींक के दौरान मुंह से निकलते हैं। इसके बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि वायरस को फैलने से रोकने में मास्क और सुरक्षित शारीरिक दूरी दोनों ही जरूरी हैं।

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